• इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

  • By: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

By: Lokesh Gulyani
  • Summary

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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Episodes
  • Episode 34 - मेरी मैं-मैं, मैं जानूं
    Mar 11 2025
    मैं जीवन में अर्थ ढूंढते ढूंढते थक गया हूं। अब ऐसी स्थिति आ चुकी है कि ज़िंदगी के मायने ढूंढना और मतलबी होना, एक दूजे के समानांतर लगने लगा है।
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    4 mins
  • Episode 33 - Solo Traveler
    Mar 3 2025
    मुझे काफ़ी हद तक ये बात सही लगती है कि जीवन खेद के साथ ख़त्म करने वाली यात्रा तो बिल्कुल नहीं है। अगर गौर से देखा जाए तो आनंद एक अवस्था है, जो भीतर से फूटती है। एक कस्तूरी है खुद में, जिसका हमें संभवतः ज्ञान नहीं।
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    4 mins
  • Episode 32 - लम्बी उड़ान
    Feb 19 2025
    मुझे क्या कभी मौका मिलेगा कि मैं अपने हाथ फैला कर नीचे वादियों में कूद जाऊं और मुझे अंजाम की चिंता न हो। नीचे सूरजमुखी के फूलों से भरा मैदान हो, फूल मुझे देखते हुए मुस्कुरा रहे हों। बाहें फैला कर खड़े हों। और मैं उनके ऊपर से उड़ता चला जा रहा हूं, एक बड़ी चील की मानिंद।
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    4 mins

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